आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "डालना"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "डालना"
ग़ज़ल
कुछ भी लगी न रक्खी डुबो दी रही सही
दिल को न डालना था सवाल-ओ-जवाब में
मुफ़्ती सदरुद्दीन आज़ुर्दा
ग़ज़ल
मैं मुज़्तरिब हूँ वस्ल में ख़ौफ़-ए-रक़ीब से
डाला है तुम को वहम ने किस पेच-ओ-ताब में
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
सब का तो मुदावा कर डाला अपना ही मुदावा कर न सके
सब के तो गरेबाँ सी डाले अपना ही गरेबाँ भूल गए