आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "दारी"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "दारी"
ग़ज़ल
क्यूँ मिरी ग़म-ख़्वार्गी का तुझ को आया था ख़याल
दुश्मनी अपनी थी मेरी दोस्त-दारी हाए हाए
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
बनाया इश्क़ ने दरिया-ए-ना-पैदा-कराँ मुझ को
ये मेरी ख़ुद-निगह-दारी मिरा साहिल न बन जाए
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
ये अच्छी पर्दा-दारी है ये अच्छी राज़दारी है
कि जो आए तुम्हारी बज़्म में दीवाना हो जाए
बेदम शाह वारसी
ग़ज़ल
ता-कुजा ये पर्दा-दारी-हा-ए-इश्क़-ओ-लाफ़-ए-हुस्न
हाँ सँभल जाएँ दो-आलम होश में आता हूँ मैं
जिगर मुरादाबादी
ग़ज़ल
मोहब्बत ख़ेशतन बीनी मोहब्बत ख़ेशतन दारी
मोहब्बत आस्तान-ए-क़ैसर-ओ-किसरा से बे-परवा