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ग़ज़ल
आख़िर-ए-शब के हम-सफ़र 'फ़ैज़' न जाने क्या हुए
रह गई किस जगह सबा सुब्ह किधर निकल गई
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
मिरी ज़िंदगी के मालिक मिरे दिल पे हाथ रखना
तिरे आने की ख़ुशी में मिरा दम निकल न जाए
अनवर मिर्ज़ापुरी
ग़ज़ल
तू अगर नज़र मिलाए, मिरा दम निकल ही जाए
तुझे देखने की हिम्मत कभी थी न है न होगी