आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "पामाल"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "पामाल"
ग़ज़ल
जिधर जाते हैं सब जाना उधर अच्छा नहीं लगता
मुझे पामाल रस्तों का सफ़र अच्छा नहीं लगता
जावेद अख़्तर
ग़ज़ल
हम भी क्यूँ दहर की रफ़्तार से होते पामाल
हम भी हर लग़्ज़िश-ए-मस्ती को सराहे जाते
शानुल हक़ हक़्क़ी
ग़ज़ल
ये किस की लाश बे-गोर-ओ-कफ़न पामाल होती है
ज़मीं जुम्बिश में है बरहम निज़ाम-ए-आसमाँ तक है
बेदम शाह वारसी
ग़ज़ल
राह-ए-वफ़ा दुश्वार बहुत थी तुम क्यूँ मेरे साथ आए
फूल सा चेहरा कुम्हलाया और रंग-ए-हिना पामाल हुआ
अतहर नफ़ीस
ग़ज़ल
फ़ित्नागर शौक़ से 'बहज़ाद' को कर दे पामाल
इस से तस्कीन-ए-दिली गर तुझे हासिल हो जाए