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ग़ज़ल
गुलू-ए-ख़ुश्क उन को भेजता है दे के मश्कीज़ा
कुछ आँसू तिश्ना-कामों के अलम-बरदार होते हैं
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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गुलू-ए-ख़ुश्क उन को भेजता है दे के मश्कीज़ा
कुछ आँसू तिश्ना-कामों के अलम-बरदार होते हैं