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ग़ज़ल
रहमत अमरोहवी
ग़ज़ल
जिन पे बारिश-ए-गुल है उन का हाल क्या होगा
ज़ख़्म खाने वाले भी बाग़ बाग़ हैं यारो
फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी
ग़ज़ल
गौरय्यों ने जश्न मनाया मेरे आँगन बारिश का
बैठे बैठे आ गई नींद इसरार था ये किसी ख़्वाहिश का