आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "बैत-ए-अबरू"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "बैत-ए-अबरू"
ग़ज़ल
मेहरबानी की तरह पहली न भूलो यक-ब-यक
बैत-ए-अबरू कूँ तुम अपनी ताज़ा मज़मूँ मत करो
सिराज औरंगाबादी
ग़ज़ल
दिल चढ़ा मुश्किल से ताक़-ए-अबरू-ए-ख़मदार पर
सौ जगह रस्ते में जब ज़ुल्फ़-ए-रसा पकड़ी गई
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
ख़त-ए-तक़्दीर से बेहतर मैं समझूँ इस को दुनिया में
तू लिखवा लाए गर क़ासिद बुत-ए-बे-पीर से काग़ज़
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
बैत-ए-अबरू पे नए तिल में ये मज़मूँ है और
चढ़ गए रात किसी शाइ'र-ए-मय-ख़्वार के हाथ
मुंशी बनवारी लाल शोला
ग़ज़ल
महका हुआ है बैत-ए-हुज़न देखना कोई
आया नसीम-ए-मिस्र का हो कारवाँ नहीं