आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "सौर"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "सौर"
ग़ज़ल
हिरा-ओ-सौर से होती हुई ये ला-मकाँ पहुँची
तुम अब भी पूछते हो क्या वफ़ा रस्ता बनाती है
सग़ीर अहमद सग़ीर
ग़ज़ल
कभी तो सुब्ह तिरे कुंज-ए-लब से हो आग़ाज़
कभी तो शब सर-ए-काकुल से मुश्क-बार चले