आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "हवा-ए-अक्स"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "हवा-ए-अक्स"
ग़ज़ल
इक दिन हवा-ए-वक़्त का बदलेगा ख़ुद मिज़ाज
उम्मीद रख छुटेगा ये ग़म का ग़ुबार भी
सय्यद शारिक़ अक्स
ग़ज़ल
हम तो हैं 'अक्स' चराग़-ए-फ़न-ए-अफ़्कार-ए-सुख़न
हो हवाओं में अगर दम तो बुझाएँ हम को
सय्यद शारिक़ अक्स
ग़ज़ल
ये भी उस का नक़्श है तो वो भी उस का अक्स है
फ़र्क़ ही क्या है हरम समझें कि बुत-ख़ाना कहें
कँवल एम ए
ग़ज़ल
हवा में जब उड़ा पर्दा तो इक बिजली सी कौंदी थी
ख़ुदा जाने तुम्हारा परतव-ए-रुख़्सार था क्या था
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
चली जाएगी इक ही रुख़ हवा ताकि ज़माने की
न पूरा होगा तेरा दौर ये ऐ आसमाँ कब तक
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
पड़ा था अक्स-ए-रू-ए-नाज़नीं अर्सा हुआ उस को
पर अब तक तैरता फिरता है शक्ल-ए-गुल समुंदर में
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
इस क़दर मज़बूत मौसम पर रही किस की गिरफ़्त
मैं कि मुझ से सीना-ए-आब-ओ-हवा रौशन हुआ