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ग़ज़ल
आशिक़ के रंग-ए-ज़र्द को देखो तो हँस पड़ो
तासीर उस में भी है वो जो ज़ाफ़राँ में है
हैदर अली आतिश
ग़ज़ल
निगाह-ए-मस्त-ए-साक़ी बादा-ख़्वारों से ये कहती है
बुतों की जब नज़र से गिर पड़ो याद-ए-ख़ुदा करना
सय्यद नज़ीर हसन सख़ा देहलवी
ग़ज़ल
न पड़ो फ़िक्र-ए-दहान-ओ-कमर-ए-यार में तुम
कोई वाक़िफ़ नहीं ये ग़ैब के असरार हैं सब
असद अली ख़ान क़लक़
ग़ज़ल
तुम फ़राएज़-मंसबी अंजाम दो 'रहबर' फ़क़त
मत पड़ो झगड़े में तुम तक़दीर-ओ-तदबीर के