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ग़ज़ल
शुक्र करो तुम इस बस्ती में भी स्कूल खुला वर्ना
मर जाने के बा'द किसी का सपना पूरा होता था
अज़हर फ़राग़
ग़ज़ल
ताबिश कानपुरी
ग़ज़ल
बहार-ए-गुल में दीवानों का सहरा में परा होता
जिधर उठती नज़र कोसों तलक जंगल हरा होता