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ग़ज़ल
चराग़ शर्मा
ग़ज़ल
जाने क्यूँ मेंहदी रचा रक्खी है मेरे वीर ने
जाने क्यूँ हम लड़कियों के पाँव में ज़ंजीर है
रख़शां हाशमी
ग़ज़ल
जाने इस में ग़म या ख़ुशी है पहली बार मोहब्बत की है
अपने लिए तो बात नई है पहली बार मोहब्बत की है
जतीन्द्र वीर यख़मी ’जयवीर
ग़ज़ल
गाज हर दिल पे गिरे तो क्या करें किस से कहें
माल-ओ-ज़र अपना लुटे तो क्या करें किस से कहें
जतीन्द्र वीर यख़मी ’जयवीर
ग़ज़ल
ये मन-भावन सा अपना-पन जाने कहाँ से लाते हो
जब आते हो दिल का टुकड़ा एक चुरा ले जाते हो