आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "ahl"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "ahl"
ग़ज़ल
वो नवा-ए-मुज़्महिल क्या न हो जिस में दिल की धड़कन
वो सदा-ए-अहल-ए-दिल क्या जो अवाम तक न पहुँचे
शकील बदायूनी
ग़ज़ल
जौन एलिया
ग़ज़ल
जिगर मुरादाबादी
ग़ज़ल
हो जाए बखेड़ा पाक कहीं पास अपने बुला लें बेहतर है
अब दर्द-ए-जुदाई से उन की ऐ आह बहुत बेताब हैं हम
शाद अज़ीमाबादी
ग़ज़ल
नासिर काज़मी
ग़ज़ल
यूँ ही गर रोता रहा 'ग़ालिब' तो ऐ अहल-ए-जहाँ
देखना इन बस्तियों को तुम कि वीराँ हो गईं
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
कोई ऐसा अहल-ए-दिल हो कि फ़साना-ए-मोहब्बत
मैं उसे सुना के रोऊँ वो मुझे सुना के रोए