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ग़ज़ल
यूँही चुपके चुपके रोना यूँही दिल ही दिल में बातें
बड़ी कश्मकश के दिन हैं बड़ी उलझनों की रातें
मसूद अख़्तर जमाल
ग़ज़ल
तलाश-ए-कौन-ओ-मकाँ है न ला-मकाँ की तलाश
ये ज़िंदगी है ग़म-ए-इश्क़-ए-जावेदाँ की तलाश
मसूद अख़्तर जमाल
ग़ज़ल
मसूद अख़्तर जमाल
ग़ज़ल
शाइ'री मेरी ग़म-ए-इश्क़ की तफ़्सीर भी है
रामिश-ओ-रंग के लम्हात की तस्वीर भी है
मसूद अख़्तर जमाल
ग़ज़ल
समझे थे बे-ख़बर जिन्हें हुश्यार वो भी हैं
साक़ी इस अंजुमन के निगह-दार वो भी हैं
मसूद अख़्तर जमाल
ग़ज़ल
जंगल जंगल सहरा सहरा सिर्फ़ ग़म-ए-उफ़्ताद हुए
अहल-ए-जुनूँ पर इश्क़ की रहमत वीराने आबाद हुए