आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "bekaar"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "bekaar"
ग़ज़ल
ऐ इश्क़ ये सब दुनिया वाले बे-कार की बातें करते हैं
पायल के ग़मों का इल्म नहीं झंकार की बातें करते हैं
शकील बदायूनी
ग़ज़ल
बस अब तो दामन-ए-दिल छोड़ दो बेकार उम्मीदो
बहुत दुख सह लिए मैं ने बहुत दिन जी लिया मैं ने
साहिर लुधियानवी
ग़ज़ल
जिन अश्कों की फीकी लौ को हम बे-कार समझते थे
उन अश्कों से कितना रौशन इक तारीक मकान हुआ
मोहसिन नक़वी
ग़ज़ल
सुना हुआ है जहाँ में बे-कार कुछ नहीं है सो जी रहे हैं
बना हुआ है यक़ीं कि इस राएगानी से कुछ अहम बनेगा
उमैर नजमी
ग़ज़ल
बेकार गया बन में सोना मिरा सदियों का
इस शहर में तो अब तक सिक्का भी नहीं बदला
ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर
ग़ज़ल
न छेड़ ऐ निकहत-ए-बाद-ए-बहारी राह लग अपनी
तुझे अटखेलियाँ सूझी हैं हम बे-ज़ार बैठे हैं
इंशा अल्लाह ख़ान इंशा
ग़ज़ल
दस्त-ओ-पा रखते हैं और बे-कार क्यों बैठे रहें
हम उठेंगे अपनी क़िस्मत को बनाने के लिए