आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "bovaa"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "bovaa"
ग़ज़ल
बोसा देते नहीं और दिल पे है हर लहज़ा निगाह
जी में कहते हैं कि मुफ़्त आए तो माल अच्छा है
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
लुटाते हैं वो दौलत हुस्न की बावर नहीं आता
हमें तो एक बोसा भी बड़ी मुश्किल से मिलता है