आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "chaahe"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "chaahe"
ग़ज़ल
आमिर अमीर
ग़ज़ल
बाग़बाँ गुलचीं को चाहे जो कहे हम को तो फूल
शाख़ से बढ़ कर कफ़-ए-दिलदार पर अच्छा लगा
अहमद फ़राज़
ग़ज़ल
ऐ बर्क़-ए-तजल्ली कौंध ज़रा क्या मुझ को भी मूसा समझा है
मैं तूर नहीं जो जल जाऊँ जो चाहे मुक़ाबिल आ जाए
बहज़ाद लखनवी
ग़ज़ल
ख़याल अपना मिज़ाज अपना पसंद अपनी कमाल क्या है
जो यार चाहे वो हाल अपना बना के रखना कमाल ये है
मुबारक सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
तिरे दर से भी निबाहे, दर-ए-ग़ैर को भी चाहे
मिरे सर को ये इजाज़त कभी थी न है न होगी