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ग़ज़ल
मुबारक सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
मन की दुनिया में न पाया मैं ने अफ़रंगी का राज
मन की दुनिया में न देखे मैं ने शैख़ ओ बरहमन
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
मेरा सर हाज़िर है लेकिन मेरा मुंसिफ़ देख ले
कर रहा है मेरी फ़र्द-ए-जुर्म को तहरीर कौन
परवीन शाकिर
ग़ज़ल
तिरी जुस्तुजू में निकले तो 'अजब सराब देखे
कभी शब को दिन कहा है कभी दिन में ख़्वाब देखे
जमील मलिक
ग़ज़ल
किसी ने देखे हैं पतझड़ में फूल खिलते हुए
दिल अपनी ख़ुश-नज़री में दिवाना हो गया है
इरफ़ान सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
देखे हैं बहुत हम ने हंगामे मोहब्बत के
आग़ाज़ भी रुस्वाई अंजाम भी रुस्वाई