आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "duniyaavii"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "duniyaavii"
ग़ज़ल
ग़ाफ़िलों के लुत्फ़ को काफ़ी है दुनियावी ख़ुशी
आक़िलों को बे-ग़म-ए-उक़्बा मज़ा मिलता नहीं
अकबर इलाहाबादी
ग़ज़ल
वो फ़क़ीह-ए-कू-ए-बातिन है अदू-ए-दीन-ओ-मिल्लत
किसी ख़ौफ़-ए-दुनियवी से जो तराश दे फ़साना
माहिर-उल क़ादरी
ग़ज़ल
चम चम करते हुस्न की तुम जो अशरफ़ियाँ लाए हो
इस मीज़ान में ये दुनियावी दाम नहीं चल सकता
अंजुम सलीमी
ग़ज़ल
ख़ुश-क़िस्मती-ए-अहल-ए-जुनूँ है मिरा हिस्सा
आसाइश-ए-दुनियावी से महरूम रहा हूँ
जितेन्द्र मोहन सिन्हा रहबर
ग़ज़ल
दिन गुज़र जाता है दुनियावी मसाइल में मगर
तेरे होने से मिरी शाम मिरी रहती है
डॉ भावना श्रीवास्तव
ग़ज़ल
हर इंसाँ हुब्ब-ए-दुनियावी में ता-हद्द-ए-जुनूँ गुम है
हक़ीक़त को मगर दुनिया की अक्सर लोग कम समझे
अतहर ज़ियाई
ग़ज़ल
तुम्हें मेराज-ए-दुनियावी तो हासिल हो चुका आगे
तरक़्क़ी होने वाली क्या है ज़िल्लत होने वाली है
नादिर काकोरवी
ग़ज़ल
बहुत लाचार होते हैं दयार-ए-'इश्क़ में वो भी
जो दुनियावी रवाबित में बड़े बाबू निकलते हैं
यासिर गुमान
ग़ज़ल
इक मैं हूँ जो होता नहीं दीवाना-ए-दुनिया
है रास हर इक शख़्स को वीराना-ए-दुनिया