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ग़ज़ल
फिर देखा कि बच्चा बच्चा हँसता था और 'आली'-जी
फ़र्दें लिखते मिसलें पढ़ते बैठे गिल्ड चलाते थे
जमीलुद्दीन आली
ग़ज़ल
वो नए गिले वो शिकायतें वो मज़े मज़े की हिकायतें
वो हर एक बात पे रूठना तुम्हें याद हो कि न याद हो
मोमिन ख़ाँ मोमिन
ग़ज़ल
बुलबुल को बाग़बाँ से न सय्याद से गिला
क़िस्मत में क़ैद लिक्खी थी फ़स्ल-ए-बहार में
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
मुद्दतों बा'द उस ने आज मुझ से कोई गिला किया
मंसब-ए-दिलबरी पे क्या मुझ को बहाल कर दिया
परवीन शाकिर
ग़ज़ल
सबा अकबराबादी
ग़ज़ल
जौन एलिया
ग़ज़ल
सिराज औरंगाबादी
ग़ज़ल
तेरे मिलने की ख़ुशी में कोई नग़्मा छेड़ूँ
या तिरे दर्द-ए-जुदाई का गिला पेश करूँ