aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "harbe"
घुमा-फिरा के जुदाई की बात करती थीहमेशा हिज्र के हरबे तलाश करती थी
लाख हरबे सही हर वज़' के शैतान के पासढाल ईमान की मौजूद हो इंसान के पास
है हर्ब-ए-इश्क़ फ़त्ह की ख़्वाहिश से बे-नियाज़ये बात अलग कि हार के भी फ़त्ह नाम है
गिरफ़्तारी के सब हरबे शिकारी ले के निकला हैपरिंदा भी शिकारी की सुपारी ले के निकला है
ज़िंदगी को नज़्म करने के लिएमैं नय हर हरबे से इक तरतीब की
हरबे सब उन के उन को ही लौटा दिए गएहैरत से बन गए हैं वो तस्वीर देखना
तेरे हरबे रिवायती हैं 'अज़ीज़'मेरी मुश्किल जदीद मुश्किल है
बे-नियाज़ी आज से करते हैं हम भी इख़्तियारउन के हरबे को उन्हीं पर आज़माना चाहिए
कारवाई जब करोगे नेक लोगों के ख़िलाफ़देख लेना सारे हरबे बे-असर हो जाएँगे
कई हरबे किए हैं मैं ने 'आबिर'मगर वो ज़ेहन से जाता नहीं है
हज़ार हरबे आज़माए उस के वास्ते 'दुरैब'ख़याल हैफ़ कोई भी मगर सफल नहीं रहा
थके-हारे परिंदे जब बसेरे के लिए लौटेंसलीक़ा-मंद शाख़ों का लचक जाना ज़रूरी है
गर बाज़ी इश्क़ की बाज़ी है जो चाहो लगा दो डर कैसागर जीत गए तो क्या कहना हारे भी तो बाज़ी मात नहीं
हवा का हाथ बटाऊँगा हर तबाही मेंहरे शजर से परिंदे मैं ख़ुद उड़ा दूँगा
गुज़िश्ता साल के ज़ख़्मो हरे-भरे रहनाजुलूस अब के बरस भी यहीं से निकलेगा
सभी मौसम हैं दस्तरस में तिरीतू ने चाहा तो हम हरे रहेंगे
जीतने में भी जहाँ जी का ज़ियाँ पहले से हैऐसी बाज़ी हारने में क्या ख़सारा देखना
ज़ख़्म दिल के फिर हरे करने लगींबदलियाँ बरखा रुतें पुरवाइयाँ
ता-क़यामत हरे भरे रहेंगेइन दरख़्तों पे दम किया गया है
हम कि नादान जुआरी हैं सभी जानते हैंदिल की बाज़ी हो तो जी जान से हारे जाएँ
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