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ग़ज़ल
इन ज़ुल्फ़ों में गूँधेंगे हम फूल मोहब्बत के
ज़ुल्फ़ों को झटक कर हम ये फूल गिरा दें तो
साहिर लुधियानवी
ग़ज़ल
कभी तुम सर्द करते हो दिलों की आग गर्मी सीं
कभी तुम सर्द-मेहरी सीं झटक कर बाव करते हो