आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "khi.nche"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "khi.nche"
ग़ज़ल
कर सकते हैं चाह तिरी अब 'सरमद' या 'मंसूर'
मिले किसी को दार यहाँ और खिंचे किसी की खाल
क़तील शिफ़ाई
ग़ज़ल
ठेस लगी है कैसी दिल पर हम से खिंचे से रहते हो
आख़िर प्यारे आया कैसे इस शीशे में बाल कहो
सय्यद शकील दस्नवी
ग़ज़ल
पीवे मेरा ही लहू मानी जो लब उस शोख़ के
खींचे तो शंगर्फ़ से ख़ून-ए-शहीदाँ छोड़ कर