आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "khusuumat"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "khusuumat"
ग़ज़ल
तेरे बिन रात के हाथों पे ये तारों के अयाग़
ख़ूब-सूरत हैं मगर ज़हर के प्यालों की तरह
जाँ निसार अख़्तर
ग़ज़ल
'फ़राज़' इश्क़ की दुनिया तो ख़ूब-सूरत थी
ये किस ने फ़ित्ना-ए-हिज्र-ओ-विसाल रक्खा है
अहमद फ़राज़
ग़ज़ल
फ़ना निज़ामी कानपुरी
ग़ज़ल
कितने पुर-उम्मीद कितने ख़ूबसूरत हैं ये लोग
क्या ये सब बाज़ू ये सब चेहरे फ़ना हो जाएँगे
अहमद मुश्ताक़
ग़ज़ल
ज़माना ख़ूबसूरत है ज़माने में हसीं लाखों
मगर तस्वीर तो तुम हो मिरे ख़्वाबों ख़यालों की