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ग़ज़ल
आशुतोष तिवारी
ग़ज़ल
तिफ़्ली से पीरी तक मिरे अहवाल सुन लेना कभी
वक़्त-ए-विलादत ही बहुत कोसा गया था एक मैं
काविश बद्री
ग़ज़ल
सितम है मेरे आगे तुम ने मेरे दिल को यूँ कोसा
कि जा कम-बख़्त तू आवारा-ए-कू-ए-बुताँ होगा
सफ़दर मिर्ज़ापुरी
ग़ज़ल
बदन बैठा है कब से कासा-ए-उम्मीद की सूरत
सो दे कर वस्ल की ख़ैरात रुख़्सत क्यूँ नहीं करते