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ग़ज़ल
दर्द आँखों से बहता है और चेहरा सब कुछ कहता है
ये मत लिक्खो वो मत लिक्खो आए बड़े समझाने वाले
हबीब जालिब
ग़ज़ल
वा'दों को ख़ून-ए-दिल से लिखो तब तो बात है
काग़ज़ पे क़िस्मतों को सँवार आए ये नहीं
जाँ निसार अख़्तर
ग़ज़ल
बर्ग-ए-हिना ऊपर लिखो अहवाल-ए-दिल मिरा
शायद कि जा लगे वो किसी मीरज़ा के हाथ
मज़हर मिर्ज़ा जान-ए-जानाँ
ग़ज़ल
ख़त नहीं हूँ जिस पे तुम राहों की तफ़्सीलें लिखो
उस के घर जाऊँगा मैं जिस का पता कोई नहीं
बशीर बद्र
ग़ज़ल
दिल की रह जाए न दिल में ये कहानी कह लो
चाहे दो हर्फ़ लिखो चाहे ज़बानी कह लो