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ग़ज़ल
मोहब्बत के लिए दिल ढूँढ़ कोई टूटने वाला
ये वो मय है जिसे रखते हैं नाज़ुक आबगीनों में
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस की क़यामत बाँहों का
वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे
जौन एलिया
ग़ज़ल
चश्म-ए-मा रौशन कि उस बेदर्द का दिल शाद है
दीदा-ए-पुर-ख़ूँ हमारा साग़र-ए-सरशार-ए-दोस्त
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
बसे हैं जल्वे कुछ ऐसे निगाह-ए-आशिक़ में
जिसे भी देखे कोई तुझ से मा-सिवा न लगे