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ग़ज़ल
न भूल ऐ ख़िज़्र मर जाना है आख़िर टुक जिया तो क्या
अगर मादाम है क्या है वगर यक आन है क्या है
क़ासिम अली ख़ान अफ़रीदी
ग़ज़ल
हवस ने ज़र की मुझ को ख़ून के रिश्तों से उलझाया
न आता काश मैं मादाम की दौलत के लारे में
रशीद हसरत
ग़ज़ल
कुछ बराए साक़ी-ए-गुलफ़ाम पी लेता हूँ मैं
कुछ ब-इसरार-ए-लब-ए-मादाम पी लेता हूँ मैं
बुलबुल काश्मीरी
ग़ज़ल
उस की तस्वीर बनाता रहा जदवल की बजाए
और इस बार तो मैडम ने सज़ा दी भी नहीं
सय्यद ज़ामिन अब्बास काज़मी
ग़ज़ल
ये दोनों एक से नमकीं हैं दोनों एक से ग़मगीं
किसी मुफ़्लिस की बेटी के किसी मादाम के आँसू
फ़ख़र लाला
ग़ज़ल
मक़ाम-ए-गुफ़्तुगू क्या है अगर मैं कीमिया-गर हूँ
यही सोज़-ए-नफ़स है और मेरी कीमिया क्या है
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
बात ये है कि सुकून-ए-दिल-ए-वहशी का मक़ाम
कुंज-ए-ज़िंदाँ भी नहीं वुसअ'त-ए-सहरा भी नहीं