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ग़ज़ल
फ़िक्र-ए-मंज़िल है न होश-ए-जादा-ए-मंज़िल मुझे
जा रहा हूँ जिस तरफ़ ले जा रहा है दिल मुझे
जिगर मुरादाबादी
ग़ज़ल
समा सकता नहीं पहना-ए-फ़ितरत में मिरा सौदा
ग़लत था ऐ जुनूँ शायद तिरा अंदाज़ा-ए-सहरा
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
फिर वही हम हैं ख़याल-ए-रुख़-ए-ज़ेबा है वही
सर-ए-शोरीदा वही 'इश्क़ का सौदा है वही
ग़ुलाम भीक नैरंग
ग़ज़ल
जाँ-गुदाज़ इतनी कहाँ आवाज़-ए-ऊद-ओ-चंग है
दिल के से नालों का उन पर्दों में कुछ आहंग है
मीर तक़ी मीर
ग़ज़ल
हुबाब-आसा में दम भरता हूँ तेरी आश्नाई का
निहायत ग़म है इस क़तरे को दरिया की जुदाई का
हैदर अली आतिश
ग़ज़ल
हक़ीक़त सामने थी और हक़ीक़त से मैं ग़ाफ़िल था
मिरा दिल तेरा जल्वा था तिरा जल्वा मिरा दिल था
शौकत थानवी
ग़ज़ल
क्यूँ न हम याद किसी को सहर-ओ-शाम करें
हो न इतना भी मोहब्बत में तो क्या काम करें
रहमत इलाही बर्क़ आज़मी
ग़ज़ल
जौर-ओ-बे-मेहरी-ए-इग़्माज़ पे क्या रोता है
मेहरबाँ भी कोई हो जाएगा जल्दी क्या है
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
लाज़िम है सोज़-ए-इश्क़ का शोला अयाँ न हो
जल-बुझिये इस तरह से कि मुतलक़ धुआँ न हो
रजब अली बेग सुरूर
ग़ज़ल
फ़लक ने गर किया रुख़्सत मुझे सैर-ए-बयाबाँ को
निकाला सर से मेरे जाए मू ख़ार-ए-मुग़ीलाँ को
मीर तक़ी मीर
ग़ज़ल
नहीं चमके ये हँसने में तुम्हारे दाँत अंजुम से
निकल आई तड़प कर बर्क़ आग़ोश-ए-तबस्सुम से