aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "makaan"
है नसीम-ए-बहार गर्द-आलूदख़ाक उड़ती है उस मकान में क्या
इसी रोज़ ओ शब में उलझ कर न रह जाकि तेरे ज़मान ओ मकाँ और भी हैं
न जाने कब तिरे दिल पर नई सी दस्तक होमकान ख़ाली हुआ है तो कोई आएगा
कहाँ चराग़ जलाएँ कहाँ गुलाब रखेंछतें तो मिलती हैं लेकिन मकाँ नहीं मिलता
जिस की साँसों से महकते थे दर-ओ-बाम तिरेऐ मकाँ बोल कहाँ अब वो मकीं रहता है
सुना है उस के शबिस्ताँ से मुत्तसिल है बहिश्तमकीं उधर के भी जल्वे इधर के देखते हैं
'कैफ़' परदेस में मत याद करो अपना मकाँअब के बारिश ने उसे तोड़ गिराया होगा
ख़ाना-ए-दिल से ज़ीनहार न जाकोई ऐसे मकाँ से उठता है
गली से कोई भी गुज़रे तो चौंक उठता हूँनए मकान में खिड़की नहीं बनाऊँगा
अब हमारा मकान किस का हैहम तो अपने मकाँ के थे ही नहीं
मैं जब मकान के बाहर क़दम निकालता हूँअजब निगाह से मुझ को मकान देखता है
चुप चुप मकान रास्ते गुम-सुम निढाल वक़्तइस शहर के लिए कोई दीवाना चाहिए
मक़ाम-ए-परवरिश-ए-आह-ओ-लाला है ये चमनन सैर-ए-गुल के लिए है न आशियाँ के लिए
चराग़ों के बदले मकाँ जल रहे हैंनया है ज़माना नई रौशनी है
झपक रही हैं ज़मान ओ मकाँ की भी आँखेंमगर है क़ाफ़िला आमादा-ए-सफ़र फिर भी
जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगाकिसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता
मकाँ है क़ब्र जिसे लोग ख़ुद बनाते हैंमैं अपने घर में हूँ या मैं किसी मज़ार में हूँ
हमारे घर को तो उजड़े हुए ज़माना हुआमगर सुना है अभी वो मकान बाक़ी है
कौन ओ मकाँ से है दिल-ए-वहशी कनारा-गीरइस ख़ानुमाँ-ख़राब ने ढूँडा है घर कहाँ
चलो ऐसा मकाँ आबाद कर लेंजहाँ लोगों की आवाज़ें न आएँ
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books