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ग़ज़ल
मुझ को कुढ़ा कुढ़ा के वो मारेंगे जान से
दिलबर हुए तो क्या मिरे प्यारे हुए तो क्या
अहमद हुसैन माइल
ग़ज़ल
अहमद हुसैन माइल
ग़ज़ल
ढूँडेंगे हर इक चीज़ में जीने की उमंगें
दिल की किसी ख़्वाहिश को भी मारेंगे नहीं हम
फ़रहत नदीम हुमायूँ
ग़ज़ल
नूह नारवी
ग़ज़ल
दो मरेंगे ज़ख़्म-ए-कारी से तो हसरत से हज़ार
चार तलवारों में शल हो जाएगा बाज़ू-ए-दोस्त
हैदर अली आतिश
ग़ज़ल
ख़ाना-जंगयाँ होवेंगी और लोग मरेंगे कट कट कर
शहर के कूचे-गलियों में इक शोर-ए-क़यामत डालेगी
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
मरेंगे उस पे कलमा पढ़ के उस का जान हम देंगे
ख़ुदाई भर में हम को आज़माए जिस का जी चाहे