आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "nafs"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "nafs"
ग़ज़ल
बड़े मूज़ी को मारा नफ़्स-ए-अम्मारा को गर मारा
नहंग ओ अज़दहा ओ शेर-ए-नर मारा तो क्या मारा
शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
ग़ज़ल
जो सालिक है तो अपने नफ़्स का इरफ़ान पैदा कर
हक़ीक़त तेरी क्या है पहले ये पहचान पैदा कर
सीमाब अकबराबादी
ग़ज़ल
इस से पहले मिरी ख़्वाहिश मुझे रुस्वा कर दे
इज़्ज़त-ए-नफ़्स को ख़ालिक़ मिरे ज़िंदा कर दे
आलम निज़ामी
ग़ज़ल
ख़ुदा का घर हो जो टूटे जिहाद-ए-नफ़्स से दिल
ख़राब हो तो बने ला-मकाँ ये ख़ाना-ए-इश्क़
ख़्वाज़ा मोहम्मद वज़ीर
ग़ज़ल
ठहरते जाते हैं जितने चश्म-ए-आलम में भले
हाल नफ़्स-ए-दूँ का उतना ही बुरा पाते हैं हम
अल्ताफ़ हुसैन हाली
ग़ज़ल
ग़म से घबरा के कभी नाला-ओ-फ़रियाद न कर
इज़्ज़त-ए-नफ़्स किसी हाल में बरबाद न कर
अब्दुल रहमान ख़ान वस्फ़ी बहराईची
ग़ज़ल
ख़्वाहिशों के साथ अपने नफ़्स को भी कर फ़ना
ज़िंदगी में इस से बेहतर कोई क़ुर्बानी नहीं