aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "naft"
मीना-ब-मीना मय-ब-मय जाम-ब-जाम जम-ब-जमनाफ़-पियाले की तिरे याद अजब सही गई
क्या भला साग़र-ए-सिफ़ाल कि हमनाफ़-प्याले को जाम कर रहे हैं
नील-गूँ झील नाफ़ तक पहनेसंदलीं जिस्म मल रही होगी
हाए 'जौन' उस का वो पियाला-ए-नाफ़जाम ऐसा कोई मिला ही नहीं
जान क्या अब तिरा पियाला-ए-नाफ़नश्शा मुझ को नहीं पिलाने का
अब तक तो जो क़िस्मत ने दिखाया वही देखाआइंदा हो क्या नफ़ा ओ ज़रर देख रहे हैं
हम से छिना है नाफ़-पियाला तिरा मियाँगोया अज़ल से हम सफ़-ए-लब-तिश्नगाँ के थे
मैं अपने आप को देखूँ वो मुझ को देखे जाएवो मेरे नफ़्स की गुमराहियों का साथी हो
अपनी नफ़ी तो फ़लसफ़ी-जी क़त्ल-ए-नफ़्स हैकहिए कोई ये जुर्म सुझाए तो क्या करूँ
हाए जानाँ वो नाफ़-प्याला तिरादिल में बस घूँट उतरते रहते हैं
अर्ग़वानी था वो पियाला-ए-नाफ़हम जो थे अर्ग़वानियाँ थे हम
ज़ुल्फ़ें सीना नाफ़ कमरएक नदी में कितने भँवर
सतर-ए-मू उस की ज़ेर-ए-नाफ़ की हाएजिस की चाक़ू-ज़नों को ताब नहीं
नाफ़-पियाले को तिरे देख लिया मुग़ाँ ने जानसारे ही मय-कदे का आज काम तमाम हो गया
इश्क़ की राह के मेयार अलग होते हैंइक जुदा ज़ाइच-ए-नफ़-ओ-ज़रर बनता है
चाक-ए-चाकी देख कर पैराहन-ए-पहनाई कीमैं ने अपने हर नफ़्स का बख़िया-गर रक्खा है नाम
तारी हो मुझ पे कौन सी हालत मुझे बताओमेरा हिसाब-ए-नफ़-ओ-ज़रर किस के पास है
जानी मैं तेरे नाफ़-पियाले पे हूँ फ़िदाये और बात है तिरा पैकर भी कुछ नहीं
वो नाफ़ प्याले से सरमस्त करे वर्नाहो के मैं कभी उस का क़ाइल नहीं आने का
उस शिकम-रक़्स-गर के साइल होनाफ़-प्याले की तुम अता माँगो
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