आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "najis"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "najis"
ग़ज़ल
सियह-मस्त-ए-मय-ए-तहक़ीक़ हो गर पाक-तीनत है
नजिस मत जाम कर तू भर के बस ख़ूनाब-ए-दुनिया को
मीर मोहम्मदी बेदार
ग़ज़ल
न हो जो ज़िंदगी अंजाम वो विज्दान-ए-नाक़िस है
हुज़ूर-ए-शम' बा'द-ए-वज्द परवाने पे क्या गुज़री
सीमाब अकबराबादी
ग़ज़ल
वो ख़ुद कामिल हैं मुझ नाक़िस को जो कामिल समझते हैं
वो हुस्न-ए-ज़न से अपना ही सा मेरा दिल समझते हैं
ख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मज्ज़ूब
ग़ज़ल
है हिलाल ओ बद्र में इक नूर पर जो रौशनी
दिल में नाक़िस के है वो कामिल के दिल में और है