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ग़ज़ल
पैक-ए-क़ज़ा है दम-ब-दम 'जौन' क़दम क़दम शुमार
लग़्ज़िश-ए-गाम रंज है हुस्न-ए-ख़िराम रंज है
जौन एलिया
ग़ज़ल
ने क़ासिद-ए-ख़याल न पैक-ए-नज़र गया
उन तक मैं अपनी आप ही ले कर ख़बर गया
पंडित दया शंकर नसीम लखनवी
ग़ज़ल
सैर करता है वो आलम की मिरा पैक-ए-निगाह
लाख है बे-दस्त-ओ-पा लेकिन है फिर सौ काम का
मियाँ दाद ख़ां सय्याह
ग़ज़ल
पैक-ए-अश्क आँखों से चल निकले जो ख़त पढ़ते ही
'जुरअत' अब कुछ तू बता उस ने लिखा तुझ को क्या
जुरअत क़लंदर बख़्श
ग़ज़ल
ऐ पैक-ए-अजल तेरे हाथों आज़ाद-ए-तअ'ल्लुक़ रूह हुई
ता-हश्र बदल सकता ही नहीं हम ने वो लिबास अब पहना है
दिल शाहजहाँपुरी
ग़ज़ल
शाह नसीर
ग़ज़ल
हल्क़ा-ब-गोश-ए-इश्क़ हो फिर न ज़वाल है न मौत
पैक-ए-क़ज़ा पे आख़िरी तीर चला के भूल जा
सिराजुद्दीन ज़फ़र
ग़ज़ल
हम दिल-अफ़रोख़्ता वाँ जूँ शरर-ए-संग हैं आह
न जहाँ पैक-ए-सबा का भी गुज़ार आए नज़र
जुरअत क़लंदर बख़्श
ग़ज़ल
गुज़रे ऐ पैक-ए-सबा तो ये दुआ कह देना
कूचा-ए-ज़ुल्फ़ में दिल नाम-ए-जवाँ रहता है
पंडित दया शंकर नसीम लखनवी
ग़ज़ल
हस्ती की करवट पैक-ए-अजल और पैक-ए-अजल पैग़ाम-ए-सुकूँ
हस्ती जब करवट लेती है आलाम से फ़ुर्सत होती है
बिसमिल देहलवी
ग़ज़ल
ब-चमन अब वो किया चाहे है मय-नोश गुज़ार
जल्द ऐ पैक-ए-सबा गुल के ये कर गोश-गुज़ार