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ग़ज़ल
आरज़ू लखनवी
ग़ज़ल
अल्फ़ाज़ कहाँ से लाऊँ छाले की टपक को समझाऊँ
इज़हार-ए-मोहब्बत करते हो एहसास-ए-मोहब्बत क्या जानो
आले रज़ा रज़ा
ग़ज़ल
दा'वा-ए-मोहब्बत है जिन्हें आज चमन से
माज़ी में वही देश के ग़द्दार रहे हैं