aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "parvaanii"
तू शाहीं है परवाज़ है काम तेरातिरे सामने आसमाँ और भी हैं
देर से सोच में हैं परवानेराख हो जाएँ या हवा हो जाएँ
ये सताइश की तमन्ना ये सिले की परवाहकहाँ लाए हैं ये अरमान ज़रा देख तो लो
ऐ ताइर-ए-लाहूती उस रिज़्क़ से मौत अच्छीजिस रिज़्क़ से आती हो पर्वाज़ में कोताही
इस शम-ए-फ़रोज़ाँ को आँधी से डराते होइस शम-ए-फ़रोज़ाँ के परवाने हज़ारों हैं
शोख़ी-ए-नैरंग सैद-ए-वहशत-ए-ताऊस हैदाम-ए-सब्ज़ा में है परवाज़-ए-चमन तस्ख़ीर का
फ़लक ने उन को अता की है ख़्वाजगी कि जिन्हेंख़बर नहीं रविश-ए-बंदा-परवरी क्या है
अबरू से है क्या उस निगह-ए-नाज़ को पैवंदहै तीर मुक़र्रर मगर इस की है कमाँ और
एक पर्वाज़ दिखाई दी हैतेरी आवाज़ सुनाई दी है
भँवरे हैं अगर मदहोश तो क्या परवाने भी हैं ख़ामोश तो क्यासब प्यार के नग़्मे गाते हैं सब यार की बातें करते हैं
जल गया परवाना गर तो क्या ख़ता है शम्अ' कीरात भर जलना जलाना उस की क़िस्मत है तो है
मैं ढूँढ रहा हूँ मिरी वो शम्अ कहाँ हैजो बज़्म की हर चीज़ को परवाना बना दे
बज़्म-ए-अदू में सूरत-ए-परवाना दिल मिरागो रश्क से जला तिरे क़ुर्बान तो गया
देख ले बुलबुल ओ परवाना की बेताबी कोहिज्र अच्छा न हसीनों का विसाल अच्छा है
परवानों ने फ़ानूस को देखा तो ये बोलेक्यूँ हम को जलाते हो कि जलने नहीं देते
हुस्न है ज़ात मिरी इश्क़ सिफ़त है मेरीहूँ तो मैं शम्अ मगर भेस है परवाने का
शोला-ए-हुस्न चमन में न दिखाया उस नेवर्ना बुलबुल को भी परवाना बनाया होता
ख़राश-ए-नग़्मा से सीना छिला हुआ है मिराफ़ुग़ाँ कि तर्क न की नग़्मा-परवरी मैं ने
इस तरफ़ ऐश की शमएँ तो उधर दिल के चराग़देखना ये है कि परवाना किधर जाता है
हर रंग में जला 'असद'-ए-फ़ित्ना-इन्तिज़ारपरवाना-ए-तजल्ली-ए-शम-ए-ज़ुहूर था
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