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ग़ज़ल
मन की दुनिया में न पाया मैं ने अफ़रंगी का राज
मन की दुनिया में न देखे मैं ने शैख़ ओ बरहमन
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
काली रात के सहराओं में नूर-सिपारा लिक्खा था
जिस ने शहर की दीवारों पर पहला ना'रा लिक्खा था
अहमद सलमान
ग़ज़ल
अर्पित शर्मा अर्पित
ग़ज़ल
वक़्त से दिन और रात वक़्त से कल और आज
वक़्त की हर शय ग़ुलाम वक़्त का हर शय पे राज