aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "raqba"
कि शाहज़ादे की आदतें देख कर सभी इस पर मुत्तफ़िक़ हैंये जूँ ही हाकिम बना महल का वसीअ' रक़्बा हरम बनेगा
ये जो फैला हुआ ज़माना हैइस का रक़्बा ग़रीब-ख़ाना है
उसे कहो तुम कि डोर रिश्तों की सीधी रक्खेमोहब्बतों की ज़मीं का रक़्बा निकालना है
मैं नापता हूँ तो हर बार रक़्बा-ए-अफ़्लाकमिरी निगाह की वुसअत से कम निकलता है
तेज़ हो जाएँ हवाएँ तो बगूला हो जाऊँघूमते घूमते हम-रक़्बा-ए-सहरा हो जाऊँ
कैसा ला-महदूद जहाँ थारक़्बा था मयख़ाने भर का
यहाँ फ़ुटपाथ पर गज़ भर का रक़्बाकिसी मुफ़्लिस का बिस्तर बन गया है
आँख का मंज़र-नामा बाँट लिया जाएया'नी ख़्वाब का रक़्बा बाँट लिया जाए
'अक़्ल रक़्बा है कि आबाद हुआ जाता हैदिल 'इमारत है कि मिस्मार हुई जाती है
उस ने जलती हुई पेशानी पे जब हाथ रखारूह तक आ गई तासीर मसीहाई की
हम भी क्या सादा थे हम ने भी समझ रक्खा थाग़म-ए-दौराँ से जुदा है ग़म-ए-जानाँ जानाँ
जब से तू ने मुझे दीवाना बना रक्खा हैसंग हर शख़्स ने हाथों में उठा रक्खा है
इक तो हम को अदब आदाब ने प्यासा रक्खाउस पे महफ़िल में सुराही ने भी गर्दिश नहीं की
उस ने गोया मुझी को याद रखामैं भी गोया उसी को भूल गया
आप जैसों के लिए इस में रखा कुछ भी नहींलेकिन ऐसा तो न कहिए कि वफ़ा कुछ भी नहीं
ये समझ कर तुझे ऐ मौत लगा रक्खा हैकाम आता है बुरे वक़्त में आना तेरा
पर्दगी हम से क्यूँ रखा पर्दातेरे ही पर्दा-दार थे हम तो
मिरे गुलू में है इक नग़्मा जिब्राईल-आशोबसंभाल कर जिसे रक्खा है ला-मकाँ के लिए
अगरचे ज़ोर हवाओं ने डाल रक्खा हैमगर चराग़ ने लौ को सँभाल रक्खा है
हसरत ने ला रखा तिरी बज़्म-ए-ख़याल मेंगुल-दस्ता-ए-निगाह सुवैदा कहें जिसे
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