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ग़ज़ल
कल रात तन्हा चाँद को देखा था मैं ने ख़्वाब में
'मोहसिन' मुझे रास आएगी शायद सदा आवारगी
मोहसिन नक़वी
ग़ज़ल
कभी झूटे सहारे ग़म में रास आया नहीं करते
ये बादल उड़ के आते हैं मगर साया नहीं करते
नुशूर वाहिदी
ग़ज़ल
मिरे दिल को रास आया न जुमूद-ओ-ग़ैर-फ़ानी
मिली राह-ए-ज़िंदगानी मुझे ख़ार से निकल कर
शकील बदायूनी
ग़ज़ल
बैरन रीत बड़ी दुनिया की आँख से जो भी टपका मोती
पलकों ही से उठाना होगा पलकों ही से पिरोना होगा
मीराजी
ग़ज़ल
जो ख़ानदानी रईस हैं वो मिज़ाज रखते हैं नर्म अपना
तुम्हारा लहजा बता रहा है तुम्हारी दौलत नई नई है
शबीना अदीब
ग़ज़ल
हाए-री मजबूरियाँ तर्क-ए-मोहब्बत के लिए
मुझ को समझाते हैं वो और उन को समझाता हूँ मैं