aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "samajhnii"
गर ख़ामुशी से फ़ाएदा इख़्फ़ा-ए-हाल हैख़ुश हूँ कि मेरी बात समझनी मुहाल है
हमारे अज़्म की शिद्दत अगर समझनी थीतो इस सफ़र में कोई सख़्त मरहला लाते
अधूरी बात भी पूरी समझनी होगी तुम्हेंमैं कुछ बताऊँगा और कुछ नहीं बताऊँगा
तुझ को लगता है तो हाँ ठीक है मन-मानी हैमुझे अब बात समझनी है न समझानी है
गर आप को तारीख़ समझनी है हमारीशाख़-ए-गुल-ए-तर देखिए तलवार से पहले
शाम की ना-समझ हवा पूछ रही है इक पतामौज-ए-हवा-ए-कू-ए-यार कुछ तो मिरा ख़याल भी
रग-ए-संग से टपकता वो लहू कि फिर न थमताजिसे ग़म समझ रहे हो ये अगर शरार होता
अब उसे लोग समझते हैं गिरफ़्तार मिरासख़्त नादिम है मुझे दाम में लाने वाला
जो मिल गया उसी को मुक़द्दर समझ लियाजो खो गया मैं उस को भुलाता चला गया
हम भी क्या सादा थे हम ने भी समझ रक्खा थाग़म-ए-दौराँ से जुदा है ग़म-ए-जानाँ जानाँ
हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैंउम्रें बीत जाती हैं दिल को दिल बनाने में
मोहब्बत ना-समझ होती है समझाना ज़रूरी हैजो दिल में है उसे आँखों से कहलाना ज़रूरी है
ये इश्क़ नहीं आसाँ इतना ही समझ लीजेइक आग का दरिया है और डूब के जाना है
मैं चुप था तो चलती हवा रुक गईज़बाँ सब समझते हैं जज़्बात की
उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है
ग़ुलामी को बरकत समझने लगेंअसीरों को ऐसी रिहाई न दे
बदन के कर्ब को वो भी समझ न पाएगामैं दिल में रोऊँगी आँखों में मुस्कुराऊँगी
ये एक बात समझने में रात हो गई हैमैं उस से जीत गया हूँ कि मात हो गई है
कुछ बातों के मतलब हैं और कुछ मतलब की बातेंजो ये फ़र्क़ समझ लेगा वो दीवाना तो होगा
ये समझ कर तुझे ऐ मौत लगा रक्खा हैकाम आता है बुरे वक़्त में आना तेरा
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