आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "sharah"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "sharah"
ग़ज़ल
कैसे करूँ मैं ज़ब्त-ए-राज़ तू ही मुझे बता कि यूँ
ऐ दिल-ए-ज़ार शरह-ए-राज़ मुझ से भी तू छुपा कि यूँ
एस ए मेहदी
ग़ज़ल
ख़ून-ए-हयात ख़ून-ए-तरब ख़ून-ए-आरज़ू
ये शरह-ए-मुख़्तसर मिरी उम्र-ए-वफ़ा की है
रसूल जहाँ बेगम मख़फ़ी बदायूनी
ग़ज़ल
हमें कुछ इश्क़ के मफ़्हूम पर है तब्सिरा करना
इक आह-ए-सर्द को उनवान-ए-शरह-ए-ग़म बनाते हैं
दिल शाहजहाँपुरी
ग़ज़ल
मुख़ातब होने लगती है ख़ुद अपनी ज़िंदगी मुझ से
'वली' जब भी मैं शरह-ए-गर्दिश-ए-अय्याम लिखता हूँ
वलीउल्लाह वली
ग़ज़ल
मुज़्मिर थे मेरी ज़ात में असरार-ए-काएनात
मैं आप राज़ आप ही ख़ुद शरह-ए-राज़ था
जगत मोहन लाल रवाँ
ग़ज़ल
गर समझते वो कभी मअ'नी-ए-मत्न-ए-क़ुरआँ
चेहरे शर्राह के हरगिज़ न किताबी होते
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
ग़ज़ल
गाह क़रीब-ए-शाह-रग गाह बईद-ए-वहम-ओ-ख़्वाब
उस की रफ़ाक़तों में रात हिज्र भी था विसाल भी