आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "suu.ngho"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "suu.ngho"
ग़ज़ल
अल्लाह-रे भुलापा मुँह धो के ख़ुद वो बोले
''सूँघो तो हो गया ये पानी गुलाब क्यूँकर''
जुरअत क़लंदर बख़्श
ग़ज़ल
अपने मन की आशाओं के फूल पिरोना काम मिरा
मा'नी की ख़ुशबू तुम सूँघो शब्दों की मालाओं में
सबा इकराम
ग़ज़ल
दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ
रोएँगे हम हज़ार बार कोई हमें सताए क्यूँ
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
न गँवाओ नावक-ए-नीम-कश दिल-ए-रेज़ा-रेज़ा गँवा दिया
जो बचे हैं संग समेट लो तन-ए-दाग़-दाग़ लुटा दिया
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
तुम ही न सुन सके अगर क़िस्सा-ए-ग़म सुनेगा कौन
किस की ज़बाँ खुलेगी फिर हम न अगर सुना सके