आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "taap"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "taap"
ग़ज़ल
वो तप-ए-इश्क़-ए-तमन्ना है कि फिर सूरत-ए-शम्अ'
शो'ला ता-नब्ज़-ए-जिगर रेशा-दवानी माँगे
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
जिस को ताप के गर्म लिहाफ़ों में बच्चे सो जाते थे
दिल के चूल्हे में हर दम वो आग बराबर जलती थी
हम्माद नियाज़ी
ग़ज़ल
कुछ तप-ए-ग़म को घटा क्या फ़ाएदा इस से तबीब
रोज़ नुस्ख़े में अगर ख़ुर्फ़ा घटे काहू बढ़े