aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "thakne"
मुझ को थकने नहीं देता ये ज़रूरत का पहाड़मेरे बच्चे मुझे बूढ़ा नहीं होने देते
अभी से मेरे रफ़ूगर के हाथ थकने लगेअभी तो चाक मिरे ज़ख़्म के सिले भी नहीं
वो ताज़ा-दम हैं नए शो'बदे दिखाते हुएअवाम थकने लगे तालियाँ बजाते हुए
थकने के हम नहीं थे मगर अब के यूँ हुआदेता रहा फ़रेब सितारा सफ़र के बीच
टेढ़ी-मेढ़ी राह बनाने वाला तूकभी न थकने रोज़ गुज़रने वाला मैं
जब उस को देखते रहने से थकने लगता हूँतो अपने ख़्वाब की पलकें झपकने लगता हूँ
सफ़र में तन्हा क़दम उठाना मुश्किल हैसाथ तुम्हारे कभी न थकने वाला मैं
पहले पहल तो चलते रहे बे-नियाज़ हमथकने लगे तो मंज़िलों की जुस्तुजू हुई
कुछ तू ही अपने ख़ून-ए-रमीदा की ले ख़बरपलकों पे क़तरा क़तरा टपकने लगी है शाम
कि नाव थकने लगी थी हवा से लड़ते हुएमगर वो हौसला बाक़ी जो बादबान में था
मंज़िलें न भूलेंगे राह-रौ भटकने सेशौक़ को तअल्लुक़ ही कब है पाँव थकने से
गुल-बदन कब तू उन को तोड़ेगाफूल थकने लगे हैं खिल खिल के
बदन की ओट से तकने लगा हैवो अपना ज़ाइक़ा चखने लगा है
थकने लगता हूँ तो आवाज़ सी आती है कोईऔर दो-चार क़दम मेरी तरफ़ मेरे लिए
जुनूँ के बोझ से थकने लगा ज़मान ओ ख़लाग़रीब-ए-शौक़ ज़रा फिर वतन बदलना तो
हाथ क्यूँ थकने लगे हैं क़ातिलों से पूछनाके भी क्यूँ बोलती हैं गर्दनों से पूछना
अब पाँव नहीं राह में दिल थकने लगा हैलेकिन हमें चलना तो है अंजाम-ए-सफ़र तक
राह सच की बहुत ही मुश्किल हैपावँ थकने लगे हैं चलते ही
थकने वाले नहीं इस राह के राही हरगिज़करते जाएँगे सफ़र गर्द-ए-सफ़र होने तक
राह-ए-वफ़ा में गिरते सँभलते रहे मियाँथकने के बा-वजूद भी चलते रहे मियाँ
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