आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "vash"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "vash"
ग़ज़ल
हुए उस मेहर-वश के जल्वा-ए-तिमसाल के आगे
पर-अफ़्शाँ जौहर आईने में मिस्ल-ए-ज़र्रा रौज़न में
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
अकबर इलाहाबादी
ग़ज़ल
फिर मुझे लिखना जो वस्फ़-ए-रू-ए-जानाँ हो गया
वाजिब इस जा पर क़लम को सर झुकाना हो गया
भारतेंदु हरिश्चंद्र
ग़ज़ल
कोई ये वहशी-ए-रम-दीदा तेरे हाथ आया था
पर ऐ सय्याद-वश दिल की गिरफ़्तारी से हाथ आया
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
तब से आशिक़ हैं हम ऐ तिफ़्ल-ए-परी-वश तेरे
जब से मकतब में तू कहता था अलिफ़ बे ते से