आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "vast"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "vast"
ग़ज़ल
देखता हूँ मैं वाक़िआत सिलसिला-ए-तग़ैय्युरात
सदियों से वस्त में बना शहर का रास्ता हूँ मैं
क़ासिम याक़ूब
ग़ज़ल
तुझ से बिछड़ के चलता रहूँ राह पर रवाँ
दरिया का ऐन वस्त हो लेकिन भँवर न हो
मोहम्मद मुस्तहसन जामी
ग़ज़ल
दम-ए-रफ़्ता की सिफ़त है शब-ओ-रोज़ में न होना
जहाँ वक़्त चल रहा है वहाँ मेरा काम क्या है
शाहिद माकुली
ग़ज़ल
ये दिन जो पूरा वस्त से है मिरे घर के सेहन में
इस की सहर है दर के पास शाम है बाम के क़रीब
जावेद शाहीन
ग़ज़ल
आ गया गर वस्ल की शब भी कहीं ज़िक्र-ए-फ़िराक़
वो तिरा रो रो के मुझ को भी रुलाना याद है