आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "zarra"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "zarra"
ग़ज़ल
मोमिन ख़ाँ मोमिन
ग़ज़ल
कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से
ये नए मिज़ाज का शहर है ज़रा फ़ासले से मिला करो
बशीर बद्र
ग़ज़ल
मैं तमाम दिन का थका हुआ तू तमाम शब का जगा हुआ
ज़रा ठहर जा इसी मोड़ पर तेरे साथ शाम गुज़ार लूँ