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नज़्म
ज़ुल्फ़ों के ख़्वाब होंटों के ख़्वाब और बदन के ख़्वाब
मेराज-ए-फ़न के ख़्वाब कमाल-ए-सुख़न के ख़्वाब
साहिर लुधियानवी
नज़्म
क़मर अपने लिबास-ए-नौ में बेगाना सा लगता था
न था वाक़िफ़ अभी गर्दिश के आईन-ए-मुसल्लम से
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
अकबर इलाहाबादी
नज़्म
तज़्किरा हूरों का है महज़ एक तस्वीर-ए-जमाल
हम ने क्या उनको कहा है ''साहिब-ए-फ़ज़्ल-ओ-कमाल''
जोश मलीहाबादी
नज़्म
तुम मुसव्विर का फ़ुसूँ तुम हो सुख़नवर का कमाल
तुम ख़िज़ाओं से बहुत दूर बहारों का ख़याल
बालमोहन पांडेय
नज़्म
शान-ओ-शौकत की तुम्हारी धूम है आफ़ाक़ में
दूर से आ आ के तुम को देखते हैं बा-कमाल