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नज़्म
सबक़ फिर पढ़ सदाक़त का अदालत का शुजाअ'त का
लिया जाएगा तुझ से काम दुनिया की इमामत का
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
अजब है ये ज़बाँ, उर्दू
कभी कहीं सफ़र करते अगर कोई मुसाफ़िर शेर पढ़ दे 'मीर', 'ग़ालिब' का
गुलज़ार
नज़्म
अन-पढ़ था और जाहिल क़ाबिल मुझे बनाया
दुनिया-ए-इल्म-ओ-दानिश का रास्ता दिखाया
अहमद हातिब सिद्दीक़ी
नज़्म
भूक और प्यास से पज़-मुर्दा सियह-फ़ाम ज़मीं
तीरा-ओ-तार मकाँ मुफ़लिस ओ बीमार मकीं
साहिर लुधियानवी
नज़्म
तुम्हारे शेर पढ़ कर जाने क्यूँ महसूस होता है
कि कोई साज़ पर मद्धम सुरों में गुनगुनाता है
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
नज़्म
कौन पोंछेगा मिरे बहते हुए अश्कों की धार
कौन पानी पढ़ के देगा होगा जब मुझ को बुख़ार
शहनाज़ परवीन शाज़ी
नज़्म
अदा-ए-हुस्न बर्क़-पाश शोला-ज़न नज़ारा-सोज़
फ़ज़ा-ए-हुस्न ऊदी ऊदी बिजलियाँ लिए हुए
फ़िराक़ गोरखपुरी
नज़्म
जीवन के अँधियारे पथ पर मिशअल ले कर निकलूँगा
धरती के फैले आँचल में सुर्ख़ सितारे भर दूँगा